महानदी, शिवनाथ और जोंक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित नये बलौदाबाजार जिले का निर्माण रायपुर जिले को पुनर्गठित कर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले के बालोद की तरह रायपुर जिले में बलौदा बाजार भी लगभग एक सौ वर्ष पुरानी तहसीलों में से है। बलौदाबाजार तहसील की स्थापना अंग्रेजों के समय सन 1905 में हुई थी। आजादी के बाद सामुदायिक विकासखंडों की योजना शुरू होने पर इस तहसील में छह विकासखंडों-सिमगा, भाटापारा, बलौदा बाजार, कसडोल, पलारी और बिलाईगढ़ की स्थापना की गयी। इसके बाद राज्य शासन द्वारा हाल के वर्षों में प्रशासनिक सुविधा के लिए बलौदा बाजार तहसील को पुनर्गठित कर भाटापारा तहसील का निर्माण किया गया और उसे भी राजस्व अनुविभाग का दर्जा दिया गया।
बलौदा बाजार में अपर कलेक्टर का कार्यालय पहले से ही संचालित है, जिसके सम्पूर्ण कार्यक्षेत्र को मिलाकर नये बलौदाबाजार जिले का गठन किया गया है। इसका क्षेत्रफल लगभग तीन हजार 593 वर्ग किलोमीटर है। नये बलौदा बाजार जिले की जनसंख्या दस लाख से अधिक है। इस जिले में 975 गांव, 495 ग्राम पंचायत, 06 विकासखंड, 03 नगरपालिका परिषद और 03 नगर पंचायत क्षेत्र शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख आस्था केन्द्र भी अब रायपुर जिले से अलग होकर नये बलौदा बाजार जिले में आ गए हैं। इनमें महान समाज सुधारक गुरू बाबा घासीदास की जन्मभूमि और तपोभूमि गिरौदपुरी भी शामिल है, जहां राज्य शासन द्वारा कुतुबमीनार से भी ऊंचे जैतखाम का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। इसके अलावा कबीरपंथ का प्रमुख आस्था केन्द्र दामाखेड़ा और महर्षि वाल्मिकी के आश्रम के रूप में प्रसिध्द तुरतुरिया भी नये बलौदा बाजार जिले में शामिल हैं। श्रध्दालुओं के प्रमुख आस्था केन्द्र होंगे। वैसे तो यह कृषि प्रधान जिला है, लेकिन यहां चूना पत्थर के विशाल प्राकृतिक भण्डारों के कारण चार सीमेंट कारखानें भी संचालित हो रहे हैं।
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