- नये जिलों का गठन :- स्वतंत्रता दिवस 2011 की सौगात। राज्य में नौ नये जिलों का गठन। सुकमा, कोण्ड्रगांव, गरियाबंद, बलौदाबाजार, बालोद, बेमेतरा, बलरामपुर, सूरजपुर और मुंगेली। ये नये जिले 01 जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए। इन नौ नये जिलों को मिलाकर राज्य में वर्ष 2007 से अब तक 11 नये जिलों का गठन। वर्ष 2007 में बीजापुर और नारायणपुर को जिला बनाया गया। अब छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या 27 हो जाएगी। नए जिलों के गठन की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
- लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011- आम जनता को सरकारी सेवाएं समय-सीमा में मिलेंगी। जनता के आवेदनों का समय-सीमा में निराकरण होगा। विधानसभा के बीते मानसून सत्र में सर्वानुमति से विधेयक पारित।
- बिजली के क्षेत्र में शानदार कामयाबी :- जनवरी 2008 से राज्य में बिजली कटौती खत्म। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चौबीसों घंटे लगातार बिजली आपूर्ति करने वाला पहला राज्य छत्तीसगढ़। हमारे यहां विगत दस वर्षो में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 500 प्रतिशत वृध्दि दर्ज की गई है। वर्ष 2009-10 में राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत 1547 यूनिट दर्ज की गयी। लोकसभा में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री के. वेणुगोपाल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से विभिन्न राज्यों में बिजली की खपत की ताजा तस्वीर स्पष्ट हुई है। गोवा 2263 यूनिट के साथ पहले स्थान पर, गुजरात 1615 यूनिट के साथ दूसरे स्थान पर और छत्तीसगढ़ 1547 यूनिट प्रति व्यक्ति विद्युत खपत के साथ तीसरे स्थान पर है। किसानों को पांच हार्सपावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क। राज्य में सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण को शानदार सफलता। राज्य निर्माण से पहले छत्तीसगढ़ में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या केवल 72 हजार के आस-पास थी, जबकि आज यह संख्या दो लाख 67 हजार को भी पार कर गई है।
- चावल उत्पादन के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार :- छत्तीसगढ़ को मिला वर्ष 2010-11 के लिए सर्वाधिक चावल उत्पादक राज्य का पुरस्कार। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में 16 जुलाई 2011 को आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 'कृषि कर्मण' पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार स्वरुप प्रशस्ति पत्र और एक करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
- शराब बंदी के लिए ठोस पहल :- राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 में शराब बंदी के प्रथम चरण में एक अप्रैल 2011 से दो हजार की जनसंख्या वाले गांवों की लगभग ढाई सौ दुकाने बंद करने का फैसला। भारतमाता वाहिनियों का गठन। व्यसन मुक्त स्वस्थ छत्तीसगढ़ निर्माण का लक्ष्य।
- अटल विहार योजना : विकासखण्डों में एक लाख मकान बनाने का लक्ष्य
- नया रायपुर विकास परियोजना को राष्ट्रीय पुरस्कार - नया रायपुर विकास परियोजना को भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम शहरी आवास विकास निगम (हुडको) द्वारा वर्ष 2010-11 में 25 अप्रैल 2011 को आवास एवं शहरी विकास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में छत्तीसगढ़ की विकास दर वर्ष 2009-10 में 11.49 प्रतिशत तक पहुंची, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। इस दौरान गुजरात में 10.53 प्रतिशत, उत्तराखंड में 9.41 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 8.59 प्रतिशत, उड़ीसा में 8.35 प्रतिशत और बिहार में 4.72 प्रतिशत की विकास दर रिकार्ड की गयी। छत्तीसगढ़ में विगत पांच वर्ष में औसत विकास दर 10.9 प्रतिशत दर्ज की गयी, जबकि अन्य राज्यों की औसत विकास दर 7.44 प्रतिशत पायी गयी। (केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय, नई दिल्ली की रिपोर्ट अगस्त 2010)।
- बजट का आकार :- चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए प्रथम अनुपूरक में 1653 करोड़ रूपए का प्रावधान। इसे मिलाकर छत्तीसगढ़ सरकार का इस वर्ष के बजट का आकार 34 हजार 131 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है।
- बेहतर वित्तीय प्रबंधन :- बारहवें वित्त आयोग की अवधि में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के मामले में छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर एक लम्बी छलांग लगाई है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2009-10 में छत्तीसगढ़ का विकासात्मक व्यय कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में 76.53 प्रतिशत रहा है, जो देश के पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर सामान्य श्रेणी के राज्यों में सर्वाधिक है। इसी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में राज्य का प्रति व्यक्ति आर्थिक व्यय तथा सामाजिक क्षेत्र का व्यय राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी अधिक है। इस अवधि में छत्तीसगढ़ ने प्रति व्यक्ति आर्थिक व्यय औसतन 1858 रूपए व्यय किया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1468 रूपए रहा। सामाजिक क्षेत्र में इस दौरान छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति तीन हजार 371 रूपए खर्च किए, जबकि राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति दो हजार 718 रूपए का था।
- मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना :- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दस हजार 547 राशन दुकानों से लगभग 34 लाख से अधिक गरीब परिवारों को सिर्फ एक रूपए और दो रूपए किलो में हर महीने 35 किलो अनाज और दो किलो नि:शुल्क नमक।
- बस्तर के गरीबों को चना वितरण :- श्री नितिन गडकरी द्वारा 29 मई 2011 को बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से बस्तर संभाग के गरीबी रेखा श्रेणी के लगभग साढ़े चार लाख परिवारों को प्रति माह पांच रूपए में एक किलो चना वितरण योजना का शुभारंभ किया गया।
- ए.पी.एल. परिवारों को भी सस्ता अनाज:- जुलाई 2010 से प्रत्येक ए.पी.एल परिवार को 35 किलो सस्ता अनाज मिलना शुरू, जिसमें 15 किलो अरवा चावल, पांच किलो उसना चावल और 15 किलो गेहूं शामिल। ए.पी.एल. परिवारों को चावल तेरह रूपए और गेहूं दस रूपए रूपए किलो की दर से।
- सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को छत्तीसगढ़ और गुजरात की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण का उल्लेख करते हुए इसे देष के अन्य राज्यों में एक मॉडल के रूप में अपनाने की सलाह दी है।
- किसानों के लिए :- सिर्फ तीन प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा देने वाला पहला राज्य है छत्तीसगढ़। यह ऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर 60 प्रतिशत नकद और 40 प्रतिशत वस्तु के रूप में दी जा रही है। किसानों को पांच हॉर्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:षुल्क।
- समर्थन मूल्य पर धान खरीदी :- वर्ष 2010-11 में किसानों से 51 लाख मीटरिक टन धान खरीदा गया और उन्हें लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2009-10 में किसानों से 44 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और उन्हें 47 सौ करोड़ रूपए का भुगतान किया। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है।
- बीज उत्पादन में वृध्दि :- किसानों में बढ़ी जागरूकता से विगत छ: वर्षों में आधार एवं प्रमाणित बीज उत्पादन में 874 प्रतिशत तथा वितरण में 514 प्रतिशत की वृध्दि हुई है।
- फसल बीमा :- राज्य के 14 जिलों की 51 तहसीलों में किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा के तहत गत खरीफ की क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 124 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा रहा है।
- बढ़ती ंसिंचाई सुविधाएं :- पिछले करीब छह साल में राज्य में तीन लाख 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का निर्माण किया गया है। हमारी निर्मित सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई है। इस वर्ष 75 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित करने का लक्ष्य है।
- तेन्दूपत्ता श्रमिकों को बोनस :- तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक की दर 700 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 800 रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। विगत वर्ष करीब 14 लाख संग्राहकों को 108 करोड़ रूपए की संग्रहण मजदूरी दी गई है तथा 138 करोड़ रूपए का बोनस बांटा जा रहा है। तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को इस वर्ष भी नि:शुल्क चरण पादुका तथा जनश्री बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है।
- वन सुरक्षा में जनता की भागीदारी :- संयुक्त वन प्रबंधन योजना के तहत राज्य में वन क्षेत्रों की सीमा से पांच किलोमीटर भीतर के लगभग ग्यारह हजार गांव शामिल। इन गांवों के 27 लाख 63 हजार ग्रामीणों को सदस्य बनाकर सात हजार 887 वन प्रबंध समितियों का गठन।
- वन अधिकार मान्यता पत्र :- लगभग दो लाख वनवासी परिवार लाभान्वित।
- कृषक जीवन ज्योति योजना :- किसानों को पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क दी जा रही है। खाद और बीज की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
- माह जनवरी 2008 से देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य।
- ग्राम सुराज अभियान :- प्रदेश के लगभग 20 हजार गांवों में जनसमस्याओं के निराकरण की ठोस पहल।
- नगर सुराज अभियान :- आगामी 18 दिसम्बर 2011 से 24 दिसम्बर 2011 तक चलेगा।
- भू-जल संरक्षण महाअभियान :- गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में संचित करने का विशेष अभियान। नदियों और तालाबों की सफाई तथा गहरीकरण में उत्साहजनक जनभागीदारी।
- हरियर छत्तीसगढ़ अभियान :- इस वर्ष सात करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं।
- रोजगार के नये अवसर :- पुलिस बल में 27 हजार भर्तियां। हर वर्ष तीन हजार से चार हजार जवानों की भर्ती। शिक्षाकर्मी के पद पर की गयी एक लाख युवाओं की भर्ती। इसी तरह अन्य कई विभागों में हजारों की संख्या में लोगों को दी गयी नौकरी। छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल के गठन का निर्णय। सात हजार पद स्वीकृत। प्रत्येक चयनित सहायक आरक्षक को 6900 रूपए का वेतन मिलेगा। सालाना 58 करोड़ रूपए खर्च होंगे। पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के तहत बस्तर एवं सरगुजा संभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए जिला स्तरीय संवर्ग।
- कौशल विकास मिशन :- राज्य में आगामी बारह वर्ष में (वर्ष 2022 तक) एक करोड़ 25 लाख लोगों को विभिन्न रोजगार मूलक और आमदनी मूलक एक हजार से अधिक व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर कुशल मानव संसाधन के रूप में तैयार करने का लक्ष्य।
- तकनीकी शिक्षा का विस्तार :- इसके लिए निजी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रदेश में विगत सात वर्ष में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं की संख्या 61 से बढ़कर 91 तक पहुंची। पॉलेटेक्निक संस्थान पांच से बढ़कर दस हो गए। इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बारह से बढ़कर 50 तक पहुंच गयी। इनमें 45 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल।
- श्रमिक कल्याण :- भवन निर्माण और उससे संबंधित 38 विभिन्न सेक्टरों में कार्यरत लगभग आठ लाख श्रमिकों के लिए नवीन योजनाओं की शुरूआत। असंगठित श्रमिकों को दिया जा रहा है इन योजनाओं का लाभ। इसके लिए श्रमिकों का पंजीयन जारी। अब तक 81 हजार से अधिक श्रमिकों का हुआ पंजीयन। इनमे से महिला श्रमिकों को सायकल और सिलाई मशीन तथा पुरूष श्रमिकों को औजार भी दिए जा रहे हैं। उनके लिए विश्वकर्मा दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गई है।
- मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना :- गरीब परिवारों के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का नि:शुल्क इलाज और ऑपरेशन सरकारी खर्च पर। अब तक एक हजार 800 बच्चों को मिला इस योजना का लाभ।
- मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना :- कॉक्लीयर इम्प्लांट के लिए गरीब परिवारों के मूक-बधिर बच्चों के नि:शुल्क ऑपरेशन की व्यवस्था।
- ऑपरेशन मुस्कान :- आदिवासी क्षेत्रों और नक्सल हिंसा ग्रस्त जिलों में निवास कर रहे कटे-फटे होंठो और तालू की विकृतियों से पीड़ित मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से संचालित 'ऑपरेशन मुस्कान' योजना को शानदार सफलता मिली है। इस योजना के तहत राजधानी रायपुर स्थित प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा के अस्पताल में सिर्फ डेढ़ वर्ष अल्प अवधि में लगभग ढाई हजार नि:शुल्क ऑपरेशनों के जरिए बच्चों और वयस्क मरीजों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखेरकर एक नया कीर्तिमान बनाया गया है। इस दौरान छह महीने से लेकर साठ वर्ष या उससे भी अधिक उम्र के इन मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी न्यूयॉर्क (अमेरिका½ की प्रसिध्द समाजसेवी संस्था 'स्माइल टे्रन' के सहयोग से उनके अस्पताल में की गयी है।
- संजीवनी कोष :- गरीबी रेखा श्रेणी के लोगों को तेरह प्रमुख चिन्हांकित बीमारियों के इलाज के लिए राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
- राज्य के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में जनभागीदारी के लिए जीवनदीप समितियों का गठन।
- शिशु और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी :- बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और आंगनबाड़ी सेवाओं के फलस्वरूप पिछले छह वर्षों में छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर में देश में सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2003 के बाद शिशु मृत्यु दर 95 से घटकर 57 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 335 प्रति लाख हो गई है। शिशु मृत्यु दर में छत्तीसगढ़ का सूचकांक राष्ट्रीय औसत 55 प्रति हजार से थोड़ा कम है, लेकिन आसाम, बिहार,, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश से काफी बेहतर है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2012 तक शिशु मृत्यु 30 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर एक सौ प्रति लाख करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव दर 18 से बढ़कर 53 प्रतिशत हो गयी है।
- कुपोषण मुक्ति की ठोस पहल :- राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। बीते एक साल में ''मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना'' के माध्यम से 13 हजार 600 गंभीर कुपोषित बच्चों को खोजकर उनकी उचित देखभाल की गई, जिसके कारण नौ हजार 530 बच्चों में काफी सुधार आया है और करीब 1600 बच्चे बिल्कुल सामान्य हो गए हैं। शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को भी पूरक पोषण आहार देने के लिए ''सबला योजना'' प्रारंभ की गई है। महिलाओं और बच्चों के पोषण आहार पर वर्ष भर में 432 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।
- अनुसूचित जातियों-जनजातियों की बेहतरी के बेहतर प्रयास । सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र और बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का गठन। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की स्थापना।
- वन अधिकार मान्यता पत्र :- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम के अंतर्गत दो लाख 14 हजार से अधिक परिवारों को वन अधिकार मान्यता पत्र देकर, इस मामले में भी छत्तीसगढ़ देश में अव्वल स्थान पर है। उन्हें खेती-किसानी सहित अन्य सभी योजनाओं के लिए भी सहायता दी जा रही है। अब ये मान्यता पत्र धारक वनवासी किसानों की श्रेणी में आ गए हैं, जिन्हें कृषि उपज मंडी समितियों में मतदाता के रूप में शामिल करने का भी निर्णय लिया जा चुका है।
- वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास जारी :- कमार एवं अन्य जनजाति परिवारों की आय बढ़ाने के लिए 15 बांस आधारित प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना की गई है। लाख उत्पादन में वृध्दि के कारण ग्रामीणों को सात करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय हुई है। लकड़ी एवं बांस के लाभांश के रूप में लगभग 100 करोड़ रूपए गांवों में अधोसंरचना विकास के लिए दिए गए हैं। लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के जरिए वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के अनेक उपाय किए जा रहे हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम :- राजधानी रायपुर के समीप ग्राम परसदा में लगभग 21 एकड़ के रकबे में 98 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से अर्न्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण पूर्ण। करीब 60 हजार दर्शकों की बैठक क्षमता। रायपुर शहर में भी इंडोर स्टेडियम का निर्माण पूरा किया गया।
- प्रदेश के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर उन्हें शासकीय नौकरी प्रदान करने की नीति बनाई गई है।
- यह राज्य के लिए गौरव का विषय है कि हमने 37वें राष्ट्रीय खेल की मेजबानी का जिम्मा लिया है। जिससे खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, खेल अधोसंरचना और उत्साहजनक वातावरण का विकास होगा।
- छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने हर साल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती (राष्ट्रीय खेल दिवस) के अवसर पर राज्य के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को खेल अलंकरणों से सम्मानित करने की एक नई शुरूआत की है।
- सड़क नेटवर्क का हुआ विस्तार :- इस वर्ष दो हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। चौवन पुल बन चुके हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा छत्ताीसगढ़ राज्य सड़क विकास परियोजना के अंतर्गत प्रमुख राज्य एवं जिला मार्गों का उन्नयन तेजी से किया जा रहा है। नौ सौ 84 किलोमीटर सडकें बनायी जा चुकी हैं तथा 265 किलोमीटर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दो रेल्वे ओव्हर ब्रिज तथा तीन बायपास सड़कें निर्माणाधीन हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 18 हजार 906 किलोमीटर लंबी सड़कें एवं 21 हजार 355 पुल-पुलियों का निर्माण पूर्ण। इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं हो सकने वाले क्षेत्रों को अच्छी सड़कों से जोड़ने के लिए 'मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना' शुरु। इसके तहत चार हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण लगभग दो हजार करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।
- यात्री बसों और मार्गों की संख्या में भारी वृध्दि :- पहले छत्ताीसगढ़ में मात्र 117 मार्गों पर राज्य परिवहन निगम की एवं निजी बसें चलती थीं। आम जनता को बेहतर परिवहन की सुविधा देने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से एक हजार 870 मार्गों पर यात्री वाहन चलाने की व्यवस्था की गयी है।
- गरीबों के लिए नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने आमदनी सीमा में वृध्दि :- अब एक लाख रुपए तक वार्षिक आमदनी वाले लोगों को भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों से मिलेगी नि : शुल्क कानूनी सहायता अब तक अधिकतम पचास हजार रुपए वार्षिक आय सीमा वाले लोगों को यह पात्रता थी। राज्य सरकार ने 24 जून 2011 से यह सीमा दोगुनी कर दी है।
Monday, January 2, 2012
छत्तीसगढ़ : नये कदम- नई उपलब्धियां
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