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Wednesday, January 18, 2012
बलरामपुर जिला राज्य का सिरमौर
Monday, January 16, 2012
Saturday, January 14, 2012
बलौदाबाजार
महानदी, शिवनाथ और जोंक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित नये बलौदाबाजार जिले का निर्माण रायपुर जिले को पुनर्गठित कर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिले के बालोद की तरह रायपुर जिले में बलौदा बाजार भी लगभग एक सौ वर्ष पुरानी तहसीलों में से है। बलौदाबाजार तहसील की स्थापना अंग्रेजों के समय सन 1905 में हुई थी। आजादी के बाद सामुदायिक विकासखंडों की योजना शुरू होने पर इस तहसील में छह विकासखंडों-सिमगा, भाटापारा, बलौदा बाजार, कसडोल, पलारी और बिलाईगढ़ की स्थापना की गयी। इसके बाद राज्य शासन द्वारा हाल के वर्षों में प्रशासनिक सुविधा के लिए बलौदा बाजार तहसील को पुनर्गठित कर भाटापारा तहसील का निर्माण किया गया और उसे भी राजस्व अनुविभाग का दर्जा दिया गया।
बलौदा बाजार में अपर कलेक्टर का कार्यालय पहले से ही संचालित है, जिसके सम्पूर्ण कार्यक्षेत्र को मिलाकर नये बलौदाबाजार जिले का गठन किया गया है। इसका क्षेत्रफल लगभग तीन हजार 593 वर्ग किलोमीटर है। नये बलौदा बाजार जिले की जनसंख्या दस लाख से अधिक है। इस जिले में 975 गांव, 495 ग्राम पंचायत, 06 विकासखंड, 03 नगरपालिका परिषद और 03 नगर पंचायत क्षेत्र शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख आस्था केन्द्र भी अब रायपुर जिले से अलग होकर नये बलौदा बाजार जिले में आ गए हैं। इनमें महान समाज सुधारक गुरू बाबा घासीदास की जन्मभूमि और तपोभूमि गिरौदपुरी भी शामिल है, जहां राज्य शासन द्वारा कुतुबमीनार से भी ऊंचे जैतखाम का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। इसके अलावा कबीरपंथ का प्रमुख आस्था केन्द्र दामाखेड़ा और महर्षि वाल्मिकी के आश्रम के रूप में प्रसिध्द तुरतुरिया भी नये बलौदा बाजार जिले में शामिल हैं। श्रध्दालुओं के प्रमुख आस्था केन्द्र होंगे। वैसे तो यह कृषि प्रधान जिला है, लेकिन यहां चूना पत्थर के विशाल प्राकृतिक भण्डारों के कारण चार सीमेंट कारखानें भी संचालित हो रहे हैं।
सूरजपुर
नये सूरजपुर जिले का निर्माण भी सरगुजा जिले को पुनर्गठित कर किया गया है। सूरजपुर जिले की उत्तरी सरहद भी उत्तर प्रदेश से लगी हुई है, इसके अलावा नये जिले की उत्तरी और पूर्वी सरहद छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से, दक्षिणी सरहद कोरबा जिले से और पश्चिमी सरहद कोरिया जिले से लगी हुई है।
सूरजपुर जिले में छह तहसीलों- प्रतापपुर, ओड़गी, भैयाथान, रामानुजनगर और प्रेमनगर शामिल हैं, जो अपने आप में विकासखंड और जनपद पंचायत भी है।
नये जिले में कुल 550 गांव, 392 ग्राम पंचायत, एक नगर पालिका परिषद और चार नगर पचांयत क्षेत्र शामिल है।
सूरजपुर जिले में कुदरगढ़ की पहाड़ियों में स्थित मंदिर सरगुजा सहित सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ की जनता का प्रमुख आस्था केन्द्र है। इस नये जिले के चांदनी बिहारपुर इलाके में रकसगंडा नामक मनोरम जनप्रपात सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है।
बलरामपुर
सरगुजा जिले का पुनर्गठन कर राज्य शासन द्वारा बनाए गए बलरामपुर भी छत्तीसगढ़ का एक सीमावर्ती जिला है। इसकी सीमाएं उत्तर में झांरखंड और उत्तर प्रदेश से लगती है। जिले की पूर्वी सीमा भी झारखंड राज्य से लगी हुई है, जबकि दक्षिण में छत्तीसगढ़ के ही सरगुजा और जशपुर जिले की सीमाएं इसका स्पर्श करती हैं। बलरामपुर जिले की पश्चिमी सीमा भी सरगुजा जिले से लगी हुई है।
नये बलरामपुर जिले में छह तहसीलें-राजपुर, शंकरगढ़, बलरामपुर, रामचन्द्रपुर और वाड्रफनगर शामिल हैं, जो अपने आप में विकासखंड और जनपद पंचायत भी हैं। जिले में कुल 645 गांव हैं, जिनमें आबाद गांवों की संख्या 642 है। इनमें से 623 गांवों का विद्युतीकरण भी हो चुकी है। इसके अलावा कुल 642 आबाद गांवों में से 634 गांवों में पेयजल की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
नवगठित बलरामपुर जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या 340 और नगर पंचायतों की संख्या 05 है। छत्तीसगढ़ का प्रसिध्द ऐतिहासिक स्थल डीपाडीह अब नये बलरामपुर जिले में आ गया है।
पुरातात्विक महत्व का यह स्थान इस नये जिले के शंकरगढ़ विकासखंड में स्थित है। भू-गर्भ से निकलने वाले गर्मपानी के लिए प्रसिध्द तातापानी नामक स्थान भी नये बलरामपुर जिले में आ गया है। इसके अलावा यहां के अन्य दर्शनीय स्थानों में सेमरसोत और तैमोर पिंगला अभ्यारण्य, भड़िया, बैनगंगा और झरिया जल प्रपात और अर्जुनगढ़ की गुफा उल्लेखनीय है।
कोण्डागांव
राज्य सरकार ने बस्तर (जगदलपुर) राजस्व जिले को पुनर्गठित कर कोण्डागांव जिले का गठन किया गया है, जिसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल तीन लाख 68 हजार 783 हेक्टेयर है। नये कोण्डागांव जिले में पांच तहसीलों-कोण्डागांव, माकड़ी, फरसगांव, केशकाल और बड़ेराजपुर (विश्रामपुरी) को शामिल किया गया है।
इस नये जिले में कुल 548 गांव हैं, इनमें राजस्व गांवों की संख्या 498, वनग्रामों की संख्या 46 और वीरान गांवों की संख्या 04 है। नये जिले में कुल 263 ग्राम पंचायतें और चार नगरीय क्षेत्र- नगरपालिका कोण्डागांव तथा नगर पंचायत फरसगांव, केशकाल और विश्रामपुरी शामिल हैं।
कोण्डागांव जिले की शैक्षणिक संस्था में कुल एक हजार 341 प्राथमिक शालाएं, 631 मिडिल स्कूल, 63 हाईस्कूल, 47 हायर सेकेण्डरी स्कूल, दो कॉलेज, 51 आश्रम विद्यालय और 64 छात्रावास सम्मिलित हैं। इस नये जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कुल 268 उचित मूल्य दुकानों का संचालन किया जा रहा है। कोण्डागांव जिले में कुल एक हजार 762 आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को पौष्टिक आहार और टीकाकरण सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है।
इस नये जिले में कुल 27 साप्ताहिक हाट-बाजार हैं। कोण्डागांव जिले में ग्राम कोपाबेड़ा और अमरावती के पुराने शिव मंदिर, ग्राम बड़ेडोंगर का दंतेश्वरी मंदिर, ग्राम गढ़धनोरा के नजदीक गोबराही का प्राचीन शिवलिंग और मान्झिनगढ़ की पहाड़ियों में स्थित देवी का मंदिर जनता की आस्था का प्रमुख केन्द्र हैं।
सुकमा
शबरी नदी के तट पर स्थित सुकमा जिला न केवल बस्तर संभाग बल्कि छत्तीसगढ़ के भी दक्षिणी छोर का सबसे आखिरी जिला है। इसकी सीमाएं ओड़िशा और आन्ध्रप्रदेश से लगी हुई है। यह नया जिला पूर्ववर्ती दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले को पुनर्गठित कर बनाया गया है। नये सुकमा जिले में तीन तहसीलें छिंदगढ़, सुकमा और कोन्टा को शामिल किया गया है।
यह नया जिला भी संघन वन प्रांतों से परिपूर्ण है। यहां के ग्राम रामाराम स्थित चिटमिटिन माता के मंदिर में हर साल वार्षिक मेले का आयोजन होता है। सुकमा जिले छिन्दगढ़ तहसील में दुरमा जल प्रपात और ग्राम नेतानार में शबरी नदी के किनारे शिव मंदिर भी दर्शनीय है।
नवगठित सुकमा जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल तीन लाख 33 हजार 530 हेक्टेयर है। इसमें 27 हजार 776 हेक्टेयर का वन क्षेत्र भी शामिल है। नये जिले में कुल 43 ग्राम पंचायतें और तीन नगर पंचायत क्षेत्र सुकमा, कोन्टा और दोरनापाल शामिल हैं। जिले में कुल एक हजार 025 बालौदा आंगनबाड़ी केन्द्रों का भी संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अंतरिम आंकड़ों के अनुसार नये सुकमा जिले की कुल जनसंख्या लगभग दो लाख 49 हजार 841 है। इनमें एक लाख 22 हजार 447 पुरूष और एक लाख 27 हजार 393 महिलाएं शामिल हैं। सुकमा जिले में 725 प्राथमिक शालाओं सहित 212 मिडिल स्कूलों, 19 हाईस्कूलों, 12 हायर सेकेण्डरी स्कूलों, दो कॉलेजों, 101 आश्रम शालाओं और 25 छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। जिले में कुल 18 साप्ताहिक हाट बाजार लगते हैं।
बेमेतरा
दुर्ग जिले का पुनर्गठन कर राज्य शासन द्वारा बनाया गया बेमेतरा जिला शिवनाथ, सुरही, हाफ और संकरी नदी के आंचल में 697 गांवों और 334 ग्राम पंचायतों के साथ दो हजार 855 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। नये जिले में सात नगरीय निकाय- नगर पालिका परिषद बेमेतरा और नगर पंचायत साजा, थानखम्हरिया, मारो, देवकर, परपोड़ी और बेरला शामिल हैं। जिले के सभी 697 आबाद गांवों का विद्युतीकरण हो चुका है।
बेमेतरा जिले में किसान लगभग दो लाख 35 हजार हेक्टेयर में खेती करते हैं। मुख्य रूप से इस जिले में धान के साथ-साथ दलहन-तिलहन, गन्ना और गेहूं की खेती हो रही है। नये जिले की कुल जनसंख्या सात लाख 95 हजार 334 है। इसमें सात लाख 21 हजार की आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
जिला मुख्यालय बेमेतरा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर हाफ नदी के किनारे ग्राम बुचीपुर में चौदहवीं शताब्दी का प्रसिध्द महामाया मंदिर इस नये जिले के गौरवशाली इतिहास का साक्षी है। बेमेतरा जिले में कुल एक हजार 385 शैक्षणिक संस्थाएं संचालित हो रही है। इनमें पांच कॉलेज, 63 हायर सेकेण्डरी स्कूल, 59 हाई स्कूल, 411 मिडिल स्कूल, 845 प्राथमिक शालाएं और दो तकनीकी शिक्षण संस्थाएं शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ का बस्तर राजस्व संभाग क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के दक्षिणी राज्य केरल सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों से भी बड़ा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बस्तर संभाग के इस विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल को देखते हुए वहां वर्ष 2007 में बीजापुर और नारायणपुर जिलों का गठन किया था। उन्होंने अब वहां दो और नये जिले सुकमा और कोण्डागांव की स्थापना की है। अब इस राजस्व संभाग में जिलों की संख्या सात हो गयी है।
मुंगेली
राज्य सरकार ने बिलासपुर जिले को पुनर्गठित कर नये मुंगेली जिले का निर्माण किया है। इस नये जिले का गठन मुंगेली, पथरिया और लोरमी तहसीलों को मिलाकर किया गया है। नये जिले में कुल 669 गांव और 149 पटवारी हल्के हैं। इस नये जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल एक लाख 63 हजार 942 हेक्टेयर है। नवगठित मुंगेली जिले की कुल जनसंख्या चार लाख 72 हजार है।
आगर नदी, मनियारी, रहन और शिवनाथ नदी के आंचल में फैले इस नये जिले में अचानकमार, टाईगर रिजर्व सहित मदकूद्वीप जैसे ऐतिहासिक स्थल भी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र हैं। नये जिले में पांच पुलिस थाने- मुंगेली, लोरमी, पथरिया, जरहागांव, लालपुर सहित तीन पुलिस चौकियां भी हैं।
नये जिले में पांच कॉलेज, 36 हायर सेकेण्डरी स्कूल, 71 हाई स्कूल, 269 मिडिल स्कूल, 711 प्राथमिक शालाएं, तीन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय और 387 आंगनबाड़ी केन्द्र कार्यरत हैं। इनके अलावा मुंगेली और पथरिया में मिनी आई.टी.आई. कार्यरत हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत नये जिले में 512 उचित मूल्य दुकाने संचालित हो रही है।
जिले में चार कृषि उपज मण्डी और 32 राईस मिल भी कार्यरत है। बैंक सेवाओं की दृष्टि से इस जिले में भारतीय स्टेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंदौर सहित सहकारिता के क्षेत्र में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की शाखाएं संचालित हो रही हैं।
गरियाबंद
पैरी नदी के आंचल में हरे-भरे सघन वनों और पहाड़ियों के मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से सुसज्जित नये गरियाबंद जिले का निर्माण 690 गांवों, 306 ग्राम पंचायतों और 158 पटवारी हल्कों को मिलाकर किया गया है। जमीन के ऊपर बहुमूल्य वन सम्पदा के साथ-साथ यह नया जिला अपनी धरती के गर्भ में अलेक्जेण्डर और हीरे जैसी मूल्यवान खनिज सम्पदा को भी संरक्षित किए हुए है। गिरि यानी पर्वतों से घिरे होने (बंद होने) के कारण संभवत: इसका नामकरण गरियाबंद हुआ। पहले यह रायपुर राजस्व जिले में शामिल था। नये गरियाबंद जिले की कुल जनसंख्या पांच लाख 75 हजार 480 है। लगभग चार हजार 220 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्रफल वाले इस जिले में दो हजार 860 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र और एक हजार 360 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र है। नये गरियाबंद जिले का कुल वन क्षेत्र लगभग 67 प्रतिशत है। इस नये जिले में वन्य प्राणियों सहित जैव विविधता के लिए प्रसिध्द उदन्ती अभ्यारण्य भी है। इस अभ्यारण्य के नाम से वन विभाग का उदन्ती वन मण्डल भी यहां कार्यरत है। यहां खेती का रकबा एक लाख 35 हजार 823 हेक्टेयर है। धान यहां की मुख्य फसल है। वैसे जिले के देवभोग और मैनपुर क्षेत्र में उड़द, मूंग, तिल, अरहर और मक्के के भी खेती होती है। इस अंचल के लोगों की यह मान्यता है कि पुरी के भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने के लिए चावल इस जिले के देवभोग क्षेत्र से भेजा जाता था। देवभोग के चावल की लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
गरियाबंद जिले का गठन पांच तहसीलों (विकासखण्डों) फिंगेश्वर (राजिम), गरियाबंद, छुरा, मैनपुर और देवभोग को मिलाकर किया गया है। जिले में चार नगर पंचायत गरियाबंद, छुरा, फिंगेश्वर और राजिम शामिल हैं। इस नये जिले की उत्तर-पूर्वी सीमा छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले से और उत्तर-पश्चिमी सीमा रायपुर जिला लगी हुई है। इसके दक्षिण में राज्य का धमतरी जिला लगा हुआ है, जबकि पूर्व और दक्षिण में इसकी सरहद ओड़िशा राज्य के नुआपाड़ा और नवरंगपुर जिले से लगती है। नया गरियाबंद जिला मुख्य रूप से आदिवासी बहुल जिला है। विशेष पिछड़ी कमार और भुंजिया जनजाति के लोग भी यहां निवास करते हैं। राज्य शासन द्वारा इनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कमार विकास अभिकरण और भुंजिया विकास अभिकरण का गठन करने के बाद कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। गरियाबंद जिले में कमार जनजाति की जनसंख्या 13 हजार 459 और भुंजिया जनजाति की जनसंख्या मात्र तीन हजार 645 है। छत्तीसगढ़ के महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र संगम पर स्थित देश का प्रसिध्द तीर्थ राजिम भी अब रायपुर जिले से नये गरियाबंद जिले में शामिल हो गया है, जो भगवान राजीव लोचन और कुलेश्वर महादेव के प्रसिध्द मंदिरों के लिए भी अपनी खास पहचान रखता है। माघ पूर्णिमा का परंपरागत राजिम मेला राज्य शासन के सहयोग से अब 'राजिम कुंभ' के नाम से भी देश-विदेश में प्रसिध्द हो गया है। इसके अलावा नये गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड (तहसील) में ग्राम कोपरा स्थित कोपेश्वर महादेव, फिंगेश्वर स्थित कर्णेश्वर महादेव और पंचकोशी महादेव सहित विकासखण्ड छुरा में ग्राम कुटेना में सिरकट्टी आश्रम, जतमई माता का मंदिर ओर घटारानी का पहाड़ी मंदिर तथा जल प्रपात भी इस जिले की सांस्कृतिक और नैसर्गिक पहचान बनाते हैं। पैरी नदी पर निर्मित सिकासार जलाशय सहित उदन्ती अभ्यारण्य, देवधारा (मैनपुर) और घटारानी के जल प्रपात यहां सैलानियों को यहां आकर्षित करते रहे हैं।
सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से देखा जाए तो नये गरियाबंद जिले को अनेक प्रसिध्द हस्तियों की जन्म भूमि और कर्म भूमि होने का गौरव प्राप्त है। इस जिले की राजिम नगरी में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार पंडित सुन्दरलाल शर्मा ने राष्ट्रीय जागरण का ऐतिहासिक कार्य किया। सन्त कवि पवन दीवान ने अपनी ओजस्वी कविताओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की पहचान बनायी। वह आज भी साहित्य और आध्यात्म के माध्यम से समाज सेवा में लगे हुए हैं। राजिम प्रसिध्द कहानीकार और उपन्यासकार स्वर्गीय श्री पुरूषोत्तम अनासक्त की भी रचना भूमि रही है। विकास की अपार संभावनाओं से परिपूर्ण गरियाबंद को जिले का दर्जा मिलने पर अब वहां जनता की तरक्की और खुशहाली का नया दौर शुरू होने जा रहा है।
बालोद
मिसाल के तौर पर लगभग 105 वर्ष पुराने दुर्ग जिले को विभाजित कर वर्ष 2012 में बनाए गए बालोद जिले की मांग वर्ष 1956 से हो रही थी। उस क्षेत्र के लोकप्रिय आदिवासी नेता लाल श्याम शाह ने उन दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलकर उनके सामने यह मांग रखी थी। बहरहाल नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लाल श्याम शाह के इस सपने को पूरा किया है। करीब 55 वर्ष बाद यह सपना पूरा हुआ है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वर्ष 1907 में जब दुर्ग जिले का निर्माण हुआ था, उस वक्त तत्कालीन बालोद (संजारी) को 251 गांवों के साथ एक तहसील का दर्जा दिया गया था।
नये बालोद जिले के निर्माण के साथ ही उसके पूर्ववर्ती दुर्ग जिले का तीसरी बार विभाजन हुआ है। ज्ञातव्य है कि 70 के दशक में दुर्ग जिले को विभाजित कर आज के राजनांदगांव जिले का गठन किया गया था। अब वर्ष 2012 में दुर्ग जिले का फिर पुनर्गठन करते हुए दो नये जिले बालोद और बेमेतरा बनाए गए हैं। बालोद जिले में पांच तहसीलें- डौंडी, गुरूर, डौण्डीलोहारा, बालोद और गुण्डरदेही को शामिल किया गया है, वहीं बेमेतरा जिले में भी पांच तहसीलें- नवागढ़, बेरला, बेमेतरा, साजा और थानखम्हरिया शामिल हैं। जिला बनाने से पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बालोद क्षेत्र की जनता को विकास की दृष्टि कई सौगातें दी हैं, जिनमें कृषि आधारित उद्योग के रूप में वर्ष 2009 में शुरू किए गए मां दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाना भी शामिल है, जिससे इस क्षेत्र में गन्ने की खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ने लगा है। नये बालोद जिले में कुल 687 राजस्व ग्राम और 16 वन ग्राम हैं। राज्य सरकार ने दो राजस्व अनुविभागों, पांच विकासखण्डों, पांच तहसीलों, 393 ग्राम पंचायतों, 6 नगर पंचायतों और दो नगर पालिका परिषदों के साथ इस नये जिले का गठन किया है। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) द्वारा संचालित दल्लीराजहरा की प्रसिध्द लौह अयस्क की खदानें भी नये बालोद जिले में आ गयी है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल के फलस्वरूप भारत सरकार ने दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन निर्माण के लिए विभिन्न चरणों में सर्वेक्षण आदि की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस रेल लाईन के बन जाने पर बालोद जिले के आर्थिक विकास में और भी तेजी आएगी। साथ ही यह जिला रेल लाईन के जरिए राज्य के जगदलपुर (बस्तर) से सीधे जुड़ जाएगा। सिंचाई सुविधा की दृष्टि से बालोद में जल संसाधन विभाग के चार मुख्य जलाशय हैं, जिनमें लगभग नब्बे वर्ष पुराना तान्दुला सिंचाई जलाशय भी शामिल है, जिसका निर्माण वर्ष 1907 में शुरू होकर 1921 में पूर्ण हुआ। नये बालोद जिले का राजस्व क्षेत्रफल लगभग दो लाख 78 हजार हेक्टेयर है। यहां 44 हजार 613 हेक्टेयर में आरक्षित और 30 हजार 298 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र हैं। यह नया जिला भी छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों की तरह कृषि प्रधान जिला है। बालोद जिले में एक लाख 75 हजार 545 हेक्टेयर खरीफ और 86 हजार 303 हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती जाती है।
छत्तीसगढ़ में सुशासन का पर्याय बनेंगे नये जिले
जनता के सपनों को पूरा करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्यारह वर्ष पहले विकास की अनेक नयी उम्मीदों के साथ नये छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया था। क्षेत्रीय असंतुलन को दूर कर सभी क्षेत्रों को सामाजिक-आर्थिक प्रगति का फायदा समान रूप से पहुंचे और सुशासन के साथ देश के प्रत्येक इलाके का समग्र विकास हो, वर्ष 2000 में अटल जी के नेतृत्व में देश के मानचित्र में छत्तीसगढ़ के साथ झारखण्ड और उत्ताराखण्ड राज्यों के अस्तित्व में आने का भी यही उददेश्य था। अटल जी आजाद भारत के उन गिने-चुने आदर्शवादी नेताओं में हैं, जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति के लिए सुशासन के सिध्दांतों को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सुशासन यानी अच्छा शासन तभी संभव है, जब सरकार जनता के ज्यादा से ज्यादा नजदीक हो, ताकि जनता उसे कभी भी और कहीं भी आसानी से अपने दु:ख-दर्द और अपनी जरूरतों के बारे में बता सके। सुशासन तभी सार्थक होता है, जब उसे जनता तक पहुंचाने के माध्यम यानी प्रशासन का विकेन्द्रीकरण हो। इस दृष्टिकोण से नये छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में विगत आठ वर्षो में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। राज्य के सभी 146 विकासखण्डों को तहसील का दर्जा देना, नगरपालिका परिषदों की संख्या 27 से बढ़ाकर 32 और नगर पंचायतों की संख्या 73 से बढ़ाकर 126 तक पहुंचाना और जिलों की संख्या 16 से बढ़ाकर 18 तक पहुंचाना, छत्तीसगढ़ को सुशासन की राह पर आगे बढ़ाने के लिए उठाए गए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदमों में से हैं। राज्य का निर्माण हुआ तब वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2006 तक प्रदेश में राजस्व जिलों की संख्या केवल 16 थी। इसी तरह तहसीलों की संख्या 98 थी।
राज्य सरकार ने वर्ष 2007 में बस्तर संभाग के नक्सल हिंसा पीड़ित दो बड़े इलाकों- बीजापुर और नारायणपुर को जिले का दर्जा दिया। वर्ष 2008 में उन्होंने सभी 146 विकासखण्डों को तहसील बना दिया। अब नये वर्ष 2012 का आगमन प्रदेश में नौ नये जिलों के निर्माण से हुआ है, जो छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा के लिए निश्चित रूप से एक शुभ संकेत है। राज्य में जिलों की संख्या अब 27 हो गयी है। वर्तमान 146 तहसीलों में से 44 तहसीलें इन नये जिलों में आ गयी है। वास्तव में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा गठित ये नये जिले छत्तीसगढ़ में सुशासन का पर्याय बनेंगे। इसका श्रेय निश्चित रूप से डॉ. रमन सिंह और उसके सरकार को दिया जाना चाहिए। बालोद, गरियाबंद, मुंगेली, बेमेतरा, सुकमा, बलरामपुर, बलौदाबाजार, सूरजपुर और कोण्डागांव जिलों की मांग इन क्षेत्रों के लाखों लोगों का वर्षो पुराना सपना था। उनके इस सपने को पूरा करने के लिए डॉ. रमन सिंह ने 15 अगस्त 2011 को राजधानी रायपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन्हें जिले का दर्जा देने की घोषणा की और उनकी सरकार ने सिर्फ चार महीने के भीतर देखते ही देखते इन नये जिलों को आकार देकर एक जनवरी 2012 से प्रदेश के मानचित्र को भी एक नया आकार दे दिया। निश्चित रूप से राज्य के इन सभी नये जिलों की अपनी प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक खूबियां हैं। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। इस नजरिए से प्रदेश के अन्य जिलों की तरह ये नये जिले भी कृषि प्रधान जिले हैं, जहां खेती के साथ-साथ लघु और कुटीर उद्योगों के विकास की भी अपार संभावनाएं हैं। इनमें से प्रत्येक नये जिले की जनता में अपने नवगठित जिले के नवनिर्माण के लिए नयी आशाओं के साथ नये उत्साह की झलक देखी जा रही है। वर्षो और दशकों बाद उनका सपना साकार जो हो रहा है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2007 में बस्तर संभाग के नक्सल हिंसा पीड़ित दो बड़े इलाकों- बीजापुर और नारायणपुर को जिले का दर्जा दिया। वर्ष 2008 में उन्होंने सभी 146 विकासखण्डों को तहसील बना दिया। अब नये वर्ष 2012 का आगमन प्रदेश में नौ नये जिलों के निर्माण से हुआ है, जो छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा के लिए निश्चित रूप से एक शुभ संकेत है। राज्य में जिलों की संख्या अब 27 हो गयी है। वर्तमान 146 तहसीलों में से 44 तहसीलें इन नये जिलों में आ गयी है। वास्तव में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा गठित ये नये जिले छत्तीसगढ़ में सुशासन का पर्याय बनेंगे। इसका श्रेय निश्चित रूप से डॉ. रमन सिंह और उसके सरकार को दिया जाना चाहिए। बालोद, गरियाबंद, मुंगेली, बेमेतरा, सुकमा, बलरामपुर, बलौदाबाजार, सूरजपुर और कोण्डागांव जिलों की मांग इन क्षेत्रों के लाखों लोगों का वर्षो पुराना सपना था। उनके इस सपने को पूरा करने के लिए डॉ. रमन सिंह ने 15 अगस्त 2011 को राजधानी रायपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन्हें जिले का दर्जा देने की घोषणा की और उनकी सरकार ने सिर्फ चार महीने के भीतर देखते ही देखते इन नये जिलों को आकार देकर एक जनवरी 2012 से प्रदेश के मानचित्र को भी एक नया आकार दे दिया। निश्चित रूप से राज्य के इन सभी नये जिलों की अपनी प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक खूबियां हैं। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। इस नजरिए से प्रदेश के अन्य जिलों की तरह ये नये जिले भी कृषि प्रधान जिले हैं, जहां खेती के साथ-साथ लघु और कुटीर उद्योगों के विकास की भी अपार संभावनाएं हैं। इनमें से प्रत्येक नये जिले की जनता में अपने नवगठित जिले के नवनिर्माण के लिए नयी आशाओं के साथ नये उत्साह की झलक देखी जा रही है। वर्षो और दशकों बाद उनका सपना साकार जो हो रहा है।
Friday, January 13, 2012
Monday, January 2, 2012
छत्तीसगढ़ : नये कदम- नई उपलब्धियां
- नये जिलों का गठन :- स्वतंत्रता दिवस 2011 की सौगात। राज्य में नौ नये जिलों का गठन। सुकमा, कोण्ड्रगांव, गरियाबंद, बलौदाबाजार, बालोद, बेमेतरा, बलरामपुर, सूरजपुर और मुंगेली। ये नये जिले 01 जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए। इन नौ नये जिलों को मिलाकर राज्य में वर्ष 2007 से अब तक 11 नये जिलों का गठन। वर्ष 2007 में बीजापुर और नारायणपुर को जिला बनाया गया। अब छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या 27 हो जाएगी। नए जिलों के गठन की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
- लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011- आम जनता को सरकारी सेवाएं समय-सीमा में मिलेंगी। जनता के आवेदनों का समय-सीमा में निराकरण होगा। विधानसभा के बीते मानसून सत्र में सर्वानुमति से विधेयक पारित।
- बिजली के क्षेत्र में शानदार कामयाबी :- जनवरी 2008 से राज्य में बिजली कटौती खत्म। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चौबीसों घंटे लगातार बिजली आपूर्ति करने वाला पहला राज्य छत्तीसगढ़। हमारे यहां विगत दस वर्षो में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 500 प्रतिशत वृध्दि दर्ज की गई है। वर्ष 2009-10 में राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत 1547 यूनिट दर्ज की गयी। लोकसभा में केन्द्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री के. वेणुगोपाल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से विभिन्न राज्यों में बिजली की खपत की ताजा तस्वीर स्पष्ट हुई है। गोवा 2263 यूनिट के साथ पहले स्थान पर, गुजरात 1615 यूनिट के साथ दूसरे स्थान पर और छत्तीसगढ़ 1547 यूनिट प्रति व्यक्ति विद्युत खपत के साथ तीसरे स्थान पर है। किसानों को पांच हार्सपावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क। राज्य में सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण को शानदार सफलता। राज्य निर्माण से पहले छत्तीसगढ़ में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या केवल 72 हजार के आस-पास थी, जबकि आज यह संख्या दो लाख 67 हजार को भी पार कर गई है।
- चावल उत्पादन के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार :- छत्तीसगढ़ को मिला वर्ष 2010-11 के लिए सर्वाधिक चावल उत्पादक राज्य का पुरस्कार। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में 16 जुलाई 2011 को आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 'कृषि कर्मण' पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार स्वरुप प्रशस्ति पत्र और एक करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
- शराब बंदी के लिए ठोस पहल :- राज्य में चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 में शराब बंदी के प्रथम चरण में एक अप्रैल 2011 से दो हजार की जनसंख्या वाले गांवों की लगभग ढाई सौ दुकाने बंद करने का फैसला। भारतमाता वाहिनियों का गठन। व्यसन मुक्त स्वस्थ छत्तीसगढ़ निर्माण का लक्ष्य।
- अटल विहार योजना : विकासखण्डों में एक लाख मकान बनाने का लक्ष्य
- नया रायपुर विकास परियोजना को राष्ट्रीय पुरस्कार - नया रायपुर विकास परियोजना को भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम शहरी आवास विकास निगम (हुडको) द्वारा वर्ष 2010-11 में 25 अप्रैल 2011 को आवास एवं शहरी विकास के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में छत्तीसगढ़ की विकास दर वर्ष 2009-10 में 11.49 प्रतिशत तक पहुंची, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है। इस दौरान गुजरात में 10.53 प्रतिशत, उत्तराखंड में 9.41 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 8.59 प्रतिशत, उड़ीसा में 8.35 प्रतिशत और बिहार में 4.72 प्रतिशत की विकास दर रिकार्ड की गयी। छत्तीसगढ़ में विगत पांच वर्ष में औसत विकास दर 10.9 प्रतिशत दर्ज की गयी, जबकि अन्य राज्यों की औसत विकास दर 7.44 प्रतिशत पायी गयी। (केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय, नई दिल्ली की रिपोर्ट अगस्त 2010)।
- बजट का आकार :- चालू वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए प्रथम अनुपूरक में 1653 करोड़ रूपए का प्रावधान। इसे मिलाकर छत्तीसगढ़ सरकार का इस वर्ष के बजट का आकार 34 हजार 131 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है।
- बेहतर वित्तीय प्रबंधन :- बारहवें वित्त आयोग की अवधि में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के मामले में छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर एक लम्बी छलांग लगाई है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2009-10 में छत्तीसगढ़ का विकासात्मक व्यय कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में 76.53 प्रतिशत रहा है, जो देश के पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर सामान्य श्रेणी के राज्यों में सर्वाधिक है। इसी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में राज्य का प्रति व्यक्ति आर्थिक व्यय तथा सामाजिक क्षेत्र का व्यय राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी अधिक है। इस अवधि में छत्तीसगढ़ ने प्रति व्यक्ति आर्थिक व्यय औसतन 1858 रूपए व्यय किया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1468 रूपए रहा। सामाजिक क्षेत्र में इस दौरान छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति तीन हजार 371 रूपए खर्च किए, जबकि राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति दो हजार 718 रूपए का था।
- मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना :- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दस हजार 547 राशन दुकानों से लगभग 34 लाख से अधिक गरीब परिवारों को सिर्फ एक रूपए और दो रूपए किलो में हर महीने 35 किलो अनाज और दो किलो नि:शुल्क नमक।
- बस्तर के गरीबों को चना वितरण :- श्री नितिन गडकरी द्वारा 29 मई 2011 को बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से बस्तर संभाग के गरीबी रेखा श्रेणी के लगभग साढ़े चार लाख परिवारों को प्रति माह पांच रूपए में एक किलो चना वितरण योजना का शुभारंभ किया गया।
- ए.पी.एल. परिवारों को भी सस्ता अनाज:- जुलाई 2010 से प्रत्येक ए.पी.एल परिवार को 35 किलो सस्ता अनाज मिलना शुरू, जिसमें 15 किलो अरवा चावल, पांच किलो उसना चावल और 15 किलो गेहूं शामिल। ए.पी.एल. परिवारों को चावल तेरह रूपए और गेहूं दस रूपए रूपए किलो की दर से।
- सर्वोच्च न्यायालय ने भी केन्द्र सरकार को छत्तीसगढ़ और गुजरात की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण का उल्लेख करते हुए इसे देष के अन्य राज्यों में एक मॉडल के रूप में अपनाने की सलाह दी है।
- किसानों के लिए :- सिर्फ तीन प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा देने वाला पहला राज्य है छत्तीसगढ़। यह ऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर 60 प्रतिशत नकद और 40 प्रतिशत वस्तु के रूप में दी जा रही है। किसानों को पांच हॉर्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:षुल्क।
- समर्थन मूल्य पर धान खरीदी :- वर्ष 2010-11 में किसानों से 51 लाख मीटरिक टन धान खरीदा गया और उन्हें लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2009-10 में किसानों से 44 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और उन्हें 47 सौ करोड़ रूपए का भुगतान किया। यह देश के किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है।
- बीज उत्पादन में वृध्दि :- किसानों में बढ़ी जागरूकता से विगत छ: वर्षों में आधार एवं प्रमाणित बीज उत्पादन में 874 प्रतिशत तथा वितरण में 514 प्रतिशत की वृध्दि हुई है।
- फसल बीमा :- राज्य के 14 जिलों की 51 तहसीलों में किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा के तहत गत खरीफ की क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 124 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा रहा है।
- बढ़ती ंसिंचाई सुविधाएं :- पिछले करीब छह साल में राज्य में तीन लाख 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का निर्माण किया गया है। हमारी निर्मित सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई है। इस वर्ष 75 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित करने का लक्ष्य है।
- तेन्दूपत्ता श्रमिकों को बोनस :- तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक की दर 700 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 800 रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। विगत वर्ष करीब 14 लाख संग्राहकों को 108 करोड़ रूपए की संग्रहण मजदूरी दी गई है तथा 138 करोड़ रूपए का बोनस बांटा जा रहा है। तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को इस वर्ष भी नि:शुल्क चरण पादुका तथा जनश्री बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है।
- वन सुरक्षा में जनता की भागीदारी :- संयुक्त वन प्रबंधन योजना के तहत राज्य में वन क्षेत्रों की सीमा से पांच किलोमीटर भीतर के लगभग ग्यारह हजार गांव शामिल। इन गांवों के 27 लाख 63 हजार ग्रामीणों को सदस्य बनाकर सात हजार 887 वन प्रबंध समितियों का गठन।
- वन अधिकार मान्यता पत्र :- लगभग दो लाख वनवासी परिवार लाभान्वित।
- कृषक जीवन ज्योति योजना :- किसानों को पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना छह हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क दी जा रही है। खाद और बीज की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
- माह जनवरी 2008 से देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य।
- ग्राम सुराज अभियान :- प्रदेश के लगभग 20 हजार गांवों में जनसमस्याओं के निराकरण की ठोस पहल।
- नगर सुराज अभियान :- आगामी 18 दिसम्बर 2011 से 24 दिसम्बर 2011 तक चलेगा।
- भू-जल संरक्षण महाअभियान :- गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में संचित करने का विशेष अभियान। नदियों और तालाबों की सफाई तथा गहरीकरण में उत्साहजनक जनभागीदारी।
- हरियर छत्तीसगढ़ अभियान :- इस वर्ष सात करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं।
- रोजगार के नये अवसर :- पुलिस बल में 27 हजार भर्तियां। हर वर्ष तीन हजार से चार हजार जवानों की भर्ती। शिक्षाकर्मी के पद पर की गयी एक लाख युवाओं की भर्ती। इसी तरह अन्य कई विभागों में हजारों की संख्या में लोगों को दी गयी नौकरी। छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल के गठन का निर्णय। सात हजार पद स्वीकृत। प्रत्येक चयनित सहायक आरक्षक को 6900 रूपए का वेतन मिलेगा। सालाना 58 करोड़ रूपए खर्च होंगे। पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के तहत बस्तर एवं सरगुजा संभागों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए जिला स्तरीय संवर्ग।
- कौशल विकास मिशन :- राज्य में आगामी बारह वर्ष में (वर्ष 2022 तक) एक करोड़ 25 लाख लोगों को विभिन्न रोजगार मूलक और आमदनी मूलक एक हजार से अधिक व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर कुशल मानव संसाधन के रूप में तैयार करने का लक्ष्य।
- तकनीकी शिक्षा का विस्तार :- इसके लिए निजी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रदेश में विगत सात वर्ष में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं की संख्या 61 से बढ़कर 91 तक पहुंची। पॉलेटेक्निक संस्थान पांच से बढ़कर दस हो गए। इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बारह से बढ़कर 50 तक पहुंच गयी। इनमें 45 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल।
- श्रमिक कल्याण :- भवन निर्माण और उससे संबंधित 38 विभिन्न सेक्टरों में कार्यरत लगभग आठ लाख श्रमिकों के लिए नवीन योजनाओं की शुरूआत। असंगठित श्रमिकों को दिया जा रहा है इन योजनाओं का लाभ। इसके लिए श्रमिकों का पंजीयन जारी। अब तक 81 हजार से अधिक श्रमिकों का हुआ पंजीयन। इनमे से महिला श्रमिकों को सायकल और सिलाई मशीन तथा पुरूष श्रमिकों को औजार भी दिए जा रहे हैं। उनके लिए विश्वकर्मा दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गई है।
- मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना :- गरीब परिवारों के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का नि:शुल्क इलाज और ऑपरेशन सरकारी खर्च पर। अब तक एक हजार 800 बच्चों को मिला इस योजना का लाभ।
- मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना :- कॉक्लीयर इम्प्लांट के लिए गरीब परिवारों के मूक-बधिर बच्चों के नि:शुल्क ऑपरेशन की व्यवस्था।
- ऑपरेशन मुस्कान :- आदिवासी क्षेत्रों और नक्सल हिंसा ग्रस्त जिलों में निवास कर रहे कटे-फटे होंठो और तालू की विकृतियों से पीड़ित मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से संचालित 'ऑपरेशन मुस्कान' योजना को शानदार सफलता मिली है। इस योजना के तहत राजधानी रायपुर स्थित प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा के अस्पताल में सिर्फ डेढ़ वर्ष अल्प अवधि में लगभग ढाई हजार नि:शुल्क ऑपरेशनों के जरिए बच्चों और वयस्क मरीजों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखेरकर एक नया कीर्तिमान बनाया गया है। इस दौरान छह महीने से लेकर साठ वर्ष या उससे भी अधिक उम्र के इन मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी न्यूयॉर्क (अमेरिका½ की प्रसिध्द समाजसेवी संस्था 'स्माइल टे्रन' के सहयोग से उनके अस्पताल में की गयी है।
- संजीवनी कोष :- गरीबी रेखा श्रेणी के लोगों को तेरह प्रमुख चिन्हांकित बीमारियों के इलाज के लिए राज्य शासन द्वारा आर्थिक सहायता।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
- राज्य के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में जनभागीदारी के लिए जीवनदीप समितियों का गठन।
- शिशु और मातृ मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी :- बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और आंगनबाड़ी सेवाओं के फलस्वरूप पिछले छह वर्षों में छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर में देश में सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2003 के बाद शिशु मृत्यु दर 95 से घटकर 57 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 335 प्रति लाख हो गई है। शिशु मृत्यु दर में छत्तीसगढ़ का सूचकांक राष्ट्रीय औसत 55 प्रति हजार से थोड़ा कम है, लेकिन आसाम, बिहार,, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश से काफी बेहतर है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2012 तक शिशु मृत्यु 30 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर एक सौ प्रति लाख करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव दर 18 से बढ़कर 53 प्रतिशत हो गयी है।
- कुपोषण मुक्ति की ठोस पहल :- राज्य में कुपोषण दूर करने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। बीते एक साल में ''मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना'' के माध्यम से 13 हजार 600 गंभीर कुपोषित बच्चों को खोजकर उनकी उचित देखभाल की गई, जिसके कारण नौ हजार 530 बच्चों में काफी सुधार आया है और करीब 1600 बच्चे बिल्कुल सामान्य हो गए हैं। शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को भी पूरक पोषण आहार देने के लिए ''सबला योजना'' प्रारंभ की गई है। महिलाओं और बच्चों के पोषण आहार पर वर्ष भर में 432 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।
- अनुसूचित जातियों-जनजातियों की बेहतरी के बेहतर प्रयास । सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र और बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का गठन। अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की स्थापना।
- वन अधिकार मान्यता पत्र :- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम के अंतर्गत दो लाख 14 हजार से अधिक परिवारों को वन अधिकार मान्यता पत्र देकर, इस मामले में भी छत्तीसगढ़ देश में अव्वल स्थान पर है। उन्हें खेती-किसानी सहित अन्य सभी योजनाओं के लिए भी सहायता दी जा रही है। अब ये मान्यता पत्र धारक वनवासी किसानों की श्रेणी में आ गए हैं, जिन्हें कृषि उपज मंडी समितियों में मतदाता के रूप में शामिल करने का भी निर्णय लिया जा चुका है।
- वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के प्रयास जारी :- कमार एवं अन्य जनजाति परिवारों की आय बढ़ाने के लिए 15 बांस आधारित प्रसंस्करण केन्द्रों की स्थापना की गई है। लाख उत्पादन में वृध्दि के कारण ग्रामीणों को सात करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय हुई है। लकड़ी एवं बांस के लाभांश के रूप में लगभग 100 करोड़ रूपए गांवों में अधोसंरचना विकास के लिए दिए गए हैं। लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन के जरिए वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के अनेक उपाय किए जा रहे हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम :- राजधानी रायपुर के समीप ग्राम परसदा में लगभग 21 एकड़ के रकबे में 98 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से अर्न्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण पूर्ण। करीब 60 हजार दर्शकों की बैठक क्षमता। रायपुर शहर में भी इंडोर स्टेडियम का निर्माण पूरा किया गया।
- प्रदेश के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित कर उन्हें शासकीय नौकरी प्रदान करने की नीति बनाई गई है।
- यह राज्य के लिए गौरव का विषय है कि हमने 37वें राष्ट्रीय खेल की मेजबानी का जिम्मा लिया है। जिससे खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, खेल अधोसंरचना और उत्साहजनक वातावरण का विकास होगा।
- छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने हर साल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती (राष्ट्रीय खेल दिवस) के अवसर पर राज्य के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को खेल अलंकरणों से सम्मानित करने की एक नई शुरूआत की है।
- सड़क नेटवर्क का हुआ विस्तार :- इस वर्ष दो हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। चौवन पुल बन चुके हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा छत्ताीसगढ़ राज्य सड़क विकास परियोजना के अंतर्गत प्रमुख राज्य एवं जिला मार्गों का उन्नयन तेजी से किया जा रहा है। नौ सौ 84 किलोमीटर सडकें बनायी जा चुकी हैं तथा 265 किलोमीटर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दो रेल्वे ओव्हर ब्रिज तथा तीन बायपास सड़कें निर्माणाधीन हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 18 हजार 906 किलोमीटर लंबी सड़कें एवं 21 हजार 355 पुल-पुलियों का निर्माण पूर्ण। इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं हो सकने वाले क्षेत्रों को अच्छी सड़कों से जोड़ने के लिए 'मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना' शुरु। इसके तहत चार हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण लगभग दो हजार करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।
- यात्री बसों और मार्गों की संख्या में भारी वृध्दि :- पहले छत्ताीसगढ़ में मात्र 117 मार्गों पर राज्य परिवहन निगम की एवं निजी बसें चलती थीं। आम जनता को बेहतर परिवहन की सुविधा देने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से एक हजार 870 मार्गों पर यात्री वाहन चलाने की व्यवस्था की गयी है।
- गरीबों के लिए नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने आमदनी सीमा में वृध्दि :- अब एक लाख रुपए तक वार्षिक आमदनी वाले लोगों को भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों से मिलेगी नि : शुल्क कानूनी सहायता अब तक अधिकतम पचास हजार रुपए वार्षिक आय सीमा वाले लोगों को यह पात्रता थी। राज्य सरकार ने 24 जून 2011 से यह सीमा दोगुनी कर दी है।
छत्तीसगढ़ : An Introduction
छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 1 नवंबर 2000 को हुआ था। यह भारत का 26 वां राज्य है। भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव,शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही अनेकों आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है।
छत्तीसगढ़ के उत्तर और उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश का रीवां संभाग, उत्तर-पूर्व में उड़ीसा और बिहार, दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में महाराष्ट्र राज्य स्थित हैं। यह प्रदेश ऊँची नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ घने जंगलों वाला राज्य है। यहाँ साल, सागौन, साजा और बीजा और बाँस के वृक्षों की अधिकता है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के बीच में महानदी और उसकी सहायक नदियाँ एक विशाल और उपजाऊ मैदान का निर्माण करती हैं, जो लगभग 80 कि.मी. चौड़ा और 322 कि.मी. लम्बा है। समुद्र सतह से यह मैदान करीब 300 मीटर ऊँचा है। इस मैदान के पश्चिम में महानदी तथा शिवनाथ का दोआब है। इस मैदानी क्षेत्र के भीतर हैं रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिले के दक्षिणी भाग। धान की भरपूर पैदावार के कारण इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। मैदानी क्षेत्र के उत्तर में है मैकल पर्वत शृंखला। सरगुजा की उच्चतम भूमि ईशान कोण में है । पूर्व में उड़ीसा की छोटी-बड़ी पहाड़ियाँ हैं और आग्नेय में सिहावा के पर्वत शृंग है। दक्षिण में बस्तर भी गिरि-मालाओं से भरा हुआ है। छत्तीसगढ़ के तीन प्राकृतिक खण्ड हैं : उत्तर में सतपुड़ा, मध्य में महानदी और उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र और दक्षिण में बस्तर का पठार। राज्य की प्रमुख नदियाँ हैं -महानदी, शिवनाथ, खारुन, पैरी , तथा इंद्रावती नदी।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय यहाँ सिर्फ 16 जिले थे पर बाद में 2 नए जिलो की घोषणा की गयी जो कि नारायणपुर व बीजापुर थे, पर इसके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 15 अगस्त 2011 को 9 और नए जिलो कि और घोषणा कि जो 1 जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ जायेंगे , इस तरह अब छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले हैं |
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